इस बार नीतीश के निशाने पर ये दो नेता, 28 को बैठक में सुनाने से चूकेंगे नहीं नीतीश?

पटना: बिहार के सीएम और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जनवरी 2024 में इंडिया ब्लॉक से अलग होकर एनडीए से हाथ मिला लिया। तब से वे लगातार कहते आ रहे हैं कि अब आरजेडी से कभी हाथ नहीं मिलाएंगे। इसके बावजूद आरजेडी के नेता उनकी बातों पर भरोस

4 1 5
Read Time5 Minute, 17 Second

पटना: बिहार के सीएम और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जनवरी 2024 में इंडिया ब्लॉक से अलग होकर एनडीए से हाथ मिला लिया। तब से वे लगातार कहते आ रहे हैं कि अब आरजेडी से कभी हाथ नहीं मिलाएंगे। इसके बावजूद आरजेडी के नेता उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर रहे। आरजेडी की सांसद मीसा भारती हों या पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव, सभी नीतीश को समय-समय पर साथ आने का इशारा करने से नहीं चूकते। तेजस्वी कहते हैं कि भाजपा ने चाचा सीएम को हाईजैक कर लिया है। आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र और मुकेश रौशन तो यह भी दावा करते हैं कि नीतीश बहुत जल्द आरजेडी के साथ आएंगे।

नीतीश की नाराजगी की कई वजहें

दरअसल आरजेडी को मालूम है कि नीतीश कुमार का भाजपा की नीतियों से तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। चाहे वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की बात हो या भाजपा नेताओं के मुसलमानों को लेकर भड़काऊ बयान, नीतीश की नीतियों और उनके सिद्धांतों से वे मेल नहीं खाते। झारखंड विधानसभा चुनाव में दो सीटें मिलने से भी उनकी नाराजगी है। भाजपा के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा से नीतीश खुश नहीं थे। नीतीश की नाराजगी को भांप कर ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने यात्रा को गिरिराज का निजी कार्यक्रम करार दे दिया। नीतीश की नाराजगी भाजपा सांसद प्रदीप सिंह के उस बयान पर भी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अररिया में रहना है तो हिन्दू बन कर रहना होगा। नीतीश ने दोनों मामलों में खुद कुछ नहीं कहा है, लेकिन जेडीयू को इस पर घोर आपत्ति है।


झारखंड में दो सीटों का झुनझुना

नीतीश कुमार मन ही मन इससे भी खफा हैं कि जेडीयू को भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो ही सीटें दीं। जेडीयू 11 सीटों की दावेदारी कर रहा था। जेडीयू ने मन मसोस कर मिली सीटें कबूल तो कर लीं, लेकिन अपनी नाराजगी का इजहार जेडीयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो ने जाहिर कर दी। सीटों की घोषणा के लिए हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे शामिल ही नहीं हुए। खीरू के बेटे ने नाराज होकर जेडीयू की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। नीतीश कुमार ने इस बाबत अपनी ओर से कुछ नहीं कहा। कहा जा रहा है कि इससे नीतीश झारखंड के प्रभारी अशोक चौधरी से भी खफा हैं। सीटों के बाबत बातचीत के लिए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह को दायित्व सौंपा था। वे भी सम्मानजनक सीट हासिल करने में नाकाम रहे।


भाजपा सांसद का भड़काऊ बयान

अररिया में भाजपा सांसद प्रदीप सिंह के बयान से नीतीश कुमार का नाराज होना स्वाभाविक है। प्रदीप सिंह का बयान नीतीश के विचारों से रत्ती भर भी मेल नहीं खाता। नीतीश ने चुप्पी साध ली है। हालांकि प्रदीप सिंह ने अपने बयान को लेकर सफाई भी दी है। नीतीश इस मुद्दे पर 28 अक्टूबर को बिहार एनडीए की होने वाली बैठक में भाजपा नेताओं से बात कर सकते हैं। गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा भी जेडीयू को रास नहीं आई है। इस पर नीतीश कुमार तो चुप रहे, लेकिन जेडीयू ने जिस तरह आपत्ति जताई, उससे यह तो पता चल ही जाता है कि नीतीश कुमार को भी गिरिराज की यात्रा से खुशी नहीं हुई है।


एनडीए की 28 अक्टूबर को बैठक

नीतीश कुमार ने 28 अक्टूबर को एनडीए की बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान नीतीश ऐसे कार्यक्रमों और बयानों के लिए भाजपा को हिदायत देंगे। सामने चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। ऐसे में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान से जेडीयू को होने वाले नुकसान का नीतीश को अंदाजा है। एनडीए की बैठक के बाद नीतीश जेडीयू नेताओं के साथ अलग से बंद कमरे में बैठक करेंगे। बैठक में एनडीए के सभी घटक दलों के विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और लोकसभा-राज्यसभा सदस्यों के अलावा पार्टी पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया है। विधानसभा उपचुनाव और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बैठक में रणनीति बननी है। विपक्ष के हमलों और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की चुनौतियों पर भी चर्चा हो सकती है।


एनडीए की बैठक को लेकर शंकाएं

नीतीश द्वारा बुलाई एनडीए की बैठक में उनका सख्त तेवर दिख सकता है। एक तरह से वे भाजपा नेताओं को चेतावनी देंगे कि अनर्गल बयानों से बचें। बेवजह विवाद न खड़ा करें। एकजुट होकर विपक्ष के आरोपों का मुकाबला करें। महागठबंधन के साथ रहते विधानमंडल दल की बैठक में नीतीश ने जिस तरह का तेवर आरजेडी नेताओं को दिखाया था, वे इस बार एनडीए नेताओं के साथ उसी तेवर में पेश आ सकते हैं। साथी दलों को हड़काने का उनका अंदाज पुराना है। तब उन्होंने आरजेडी के एमएलसी सुधाकर सिंह और राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई सुनील कुमार सिंह को भरी बैठक में जलील कर दिया था। बहरहाल, इस बार नीतीश भाजपा से भले नाराज दिख रहे, लेकिन उनके एनडीए से अलग होने के आसार नहीं हैं। आरजेडी के नेता लगातार इस तरह के कयास लगा रहे हैं।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Diwali 2024 Date: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर आखिर कब है दिवाली? हो गया सही तारीख का ऐलान

<

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now